TEJASVI ASTITVA
MULTI-LINGUAL MULTI-DISCIPLINARY RESEARCH JOURNAL
ISSN NO. 2581-9070 ONLINE

करोना का जन जीवन पर प्रभाव-Dr. बी.सुगुना कुमारी    

करोना का जन जीवन पर प्रभाव
Dr. बी.सुगुना कुमारी

Lecturer in Hindi,
Govt. degree college for men, Srikakulam
Andhra Pradesh, India         

                    मानव जीवन एक युद्ध महायुद्ध जन्म से लेकर मृत्यु तक पद पर अनेक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है किन परिस्थितियों में क्या होगा स्वयं को भी पता नहीं होता हर मानव आराम और शांति चाहता है लेकिन परिस्थितियां हरदम अनुकूल नहीं होती इंसान आखिर इंसान है जन्म से लेकर मृत्यु तक हर घड़ी जीने के लिए अनेक मुसीबतों का सामना करना पड़ता है जहरीले जंतुओं का डर दौड़कर गिरने से डर तो खाने पीने के सही तरीका अपनाने से डर बाढ़ हो या सुनामी ठंड हो या लो भोजन ना मिलने पर भुखमरी का डर हर क्षण मृत्यु का डर समाया ही रहता है एक दिन जी लिया तो बहुत है इस तरह अनेक स्थानों को गुजारने के बाद जो जीवित रहता है तो यह दीर्घायु सचमुच ईश्वर की देन समझो l

                              मानव और प्रकृति का अटूट संबंध है प्राचीन काल में भी प्रकृति थी और आज भी वही प्रकृति है लेकिन समय बदलते मानव पूर्व का मानव नहीं है मा नव अतिबुद्धिमान प्राणी है जो ज्ञान के बल पर भगवान को अपनी शक्ति दिखाने लायक बन गया है कभी-कभी मानव जाति की गलतियां ही प्रकृति को प्रभावित करती है विज्ञान की अभिवृद्धि में वह भूल जाता है कि प्रकृति के प्रति उसका भी एक दायित्व है उसे संभालकर उसकी सुकुमार ता की रक्षा करना है मानवहर दिशा में अपने ज्ञान के बल सब कुछ हासिल कर सकता है l

                           पूर्व में भी अनेक महामारी ने मानव समाज को नष्ट किया था जैसे प्लेग हैजा काली खांसी पोलियो डिप्थीरिया आदि लेकिन मानव ने अपनी बुद्धि से इन महा मारियो की चुनौती को स्वीकार किया और समस्या का समाधान भी ढूंढा l

                      मानव विज्ञान के आधार पर सब कुछ कर सकता है वास्तव में विज्ञान शक्तिशाली है कृत्रिम गर्भधारण से लेकर मानव यंत्र का उपयोग किया जा रहा है अनेक अद्भुत कार्य करके मानव एक इंसान मात्र है भूल गया l

                              11 तारीख आधी रात से लेकर सुबह 13 तारीख तक हवा पानी चलती रही सुबह 4:00 बजे से तूफान का जोर कम हुआ आश्चर्य की बात है छोटे पेड़ पतले पेड़ नहीं गिरे थे शायद पतले पेड़ों से हवा आर पार हो गई और मोटे पेड़ हवा के लगातार लोगों को सहन न सकी फिर गिर पड़े ऐसा लगता था कि सदियों के पुराने पेड़ों को जड़ से उखाड़ने हेतु ही यह खुद तूफान आया तूफान ने आंध्र प्रदेश को चिर स्मरणीय यादेंदे गया कई महीनों तक बिजली पानी की व्यवस्था नहीं हो पाई थी किसानों का फसल नष्ट हुआ जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया था लोगों को फिर पुरानी बातें याद आने लगी क्योंकि बिजली के स्थान पर दिया बाती जलाने लगे अरकू जो विशाखापट्टनम जिले में एक सुंदर पर्यटक स्थल था यहां अनेक पहाड़ों की में लंबी-लंबी कतारें थी जो छोटे छोटे पेड़ों से सुंदर सुंदर फूलों से लदे रहते थे  हुदूद तूफान से सब तरफ सूना सूना दिखने लगा l

                     क्या विज्ञान प्रकृति को बदल सकती है कदापि नहीं अगर बदल सकती तो सुनामी आंधी तूफान बाढ़ भूकंप ज्वालामुखी अनेक महामारी या फिर क्यों अपना तांडव करती मानव इन से अपने आप को बचाओ कर सकता है लेकिन रोक नहीं सकता 11 अक्टूबर सन 2012 कितना भयंकर दिन था जब आंध्र प्रदेश के कुछ जिलों में तूफान ने अपना भयंकर रूप दिखाया अनेक लोगों ने मीडिया से आए समाचार को यकीन ना किया मौसम में बदलाव था मगर इसका आगामी रूप इतना भयंकर होगा किसी ने अनुमान नहीं लगाया शाम को 6:00 बजे से बूंदा बूंदी होने लगी लोगों ने समझा बस इसी तरह मौसम होगा पिछले कई दिनों से चैनल न्यूज़ चेतावनी दे रहे थे लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया आधी रात को जब सब नींद में थे आंधी तूफान ने जोर पकड़ा रुकने का नाम नहीं हवा तेजी से चलने लगी इतनी तेज हवा थी कि कई साल के पुराने आम बरगद पीपल जैसे मोटे लंबे पेड़ गिर पड़े इससे य…l

                          22 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने सारे भारत में कर्फ्यू का ऐलान किया सुबह 7:00 बजे से रात 9:00 बजे तक रात 9:00 बजे सारा भारत देश एक साथ दीप जलाए इसके पहले सभी ने बिजली बंद किए तथा पुराने दिनों का अनुसरण किए कोई मोमबत्ती तो कोई दीप सभी ने अंधकार में वातावरण को दीपों के प्रकाश से ज्योतिर्मयी किये सारे भारतवासी एक क्षण के लिए एक ही भावना में बंधकर एकता का प्रदर्शन दिखाएं प्रधानमंत्री मोदी ने 23 मार्च से लाकड़ौन लगातार जारी रखने के कारण कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्तियों से वायरस फैलने में रुकावट आई इसके साथ देश भर में अनेक समस्याएं सामने आने लगी कोरोना वायरस के बारे में अनेक अफवाहें फैलने लगी सभी को मृत्यु का डर रहता है इसलिए हर समय हर जगह सबका एक ही विषय रहता कोरोना वायरस के बारे में ही बात करनाl

                 प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कोरोना वायरस ने दुनिया को कैद कर दिया है यह ज्ञान विज्ञान गरीब संपन्न कमजोर ताकतवर हर किसी को चुनौती दे रहा है यह ना तो राष्ट्र की सीमाओं से बंधा है ना ही कोई क्षेत्र देखता है और ना कोई मौसम भारत में कोरोना वायरस से अनेक लोगों की मौत हो चुकी दिन-ब-दिन लोगों में वायरस संक्रमित होने की आशंका बढ़ने लगी जानवरों से इंसानों में जानलेवा कोरोनावायरस कैसे पहुंचा इसका पता नहीं विश्व के अनेक देशों ने वायरस की जांच पड़ताल करने लगी इटली अमेरिका जापान चीन जैसे देशों में लाखों की संख्या में वायरस से संक्रमित होने लगे अस्पतालों की संख्या मरीजों के लिए कम पड़ने लगी शवों को संबंधियों से दूर रखें दाह संस्कार करना कितने दुख की बात है जो संक्रमित हो रहा है परिवार से अलग होकरॳनाथोकी तरह आइसोलेशन में रखना प्राण बचे तो घर लौटे वरना वहीं के वहीं दफना देना कम से कम अंतिम घड़ी में परिवार का चेहरा भी नहीं देख सकते l

           हूदूद तूफान ने केवल एक राज्य को अपना शिकार बनाया था लेकिन महामारी कोरोनावायरस ने सारे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया था चीन के वुहान नगर से प्रारंभ होकर सारे विश्व में यह कोरोना वायरस फैलने लगा सर्दी जुकाम खांसी या साधारण का मौसम बदलते होती रहती है मगर कोरोनावायरस संक्रमण की बीमारी है यह बहुत जल्दी फैलती है संक्रमित व्यक्ति के कीटाणु जिन वस्तुओं को छूता है वायरस उन वस्तुओं पर बैठ जाता है स्वस्थ मनुष्य कोछू  जाएतो उसे भी बीमारी आ जाती है नाक मुंह आंख के द्वारा यह कीटाणु अंदर पहुंचकर श्वास नली को नष्ट कर डालती है श्वास लेने में तकलीफ होती है रोगी रोगी को निमोनिया हो जाता है वह सीधे फेफड़ों पर अपना प्रभाव डालती है निरंतर नाक बहना श्वास लेने में तकलीफ शरीर के ताप में वृद्धि अतिसार इस तरह अंतर संक्रमित व्यक्ति रोग ग्रस्त होकर मृत्यु हो जाती है l

               करोना महामारी बहुत डरावना और भय उपजाने वाली थी क्योंकि इस बीमारी का कोई इलाज उपयुक्त नहीं है सभी घरों के अंदर कैद हो गए बाहर निकलते तो डर कौन जाने किस को छू जाएगा कौन संक्रमित है क्योंकि संक्रमण के 1 से 24 दिन के बीच लक्षण कभी भी दिखाई दे सकते हैं शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता के अनुसार रोगी की बचने की संभावना रहती सारा विश्व थर थर कांप रहा था जिधर भी देखो लोग शरीर को मुंह से ढक कर बाहर निकलते डॉक्टरों नर्सों का जीवन भी खतरे में घर से दूर मरीजों की सेवा करते सबसे बड़ी कष्टदायक समस्या प्रवासी मजदूर जो अपने स्वग्रामको छोड़कर कमाने के लिए अन्य गांव में रह गए जो ना अपने स्व ग्राम आ सकते हैं नहीं वहीं रह सकते हैं क्योंकि वही रहने के लिए कौन दूरी देगा अनेक लोग पैदल साइकिल से अपने घरों को लौटने लगे भूखे प्यासे पैदल यात्रा में न जाने कितनों के प्राण बीच में उड़ गए l

                हर बुराई और दुख के पीछे एक भलाई और सुख भी होती है इस करोना परिवार को घर में बांध कर रख दिया सभी कुछ दिनों तक एक दूसरे से मिलकर रहने का अवसर दिया जो सवेरे घर से निकलते तो शाम तक एक-दूसरे से अलग होते अब तो दिन भर सभी साथ साथ रहने का मौका मिला आने-जाने का खर्च बचा पेट्रोल डीजल का उपयोग कम हुआ वातावरण स्वच्छ होने लगा कई सालों के पीड़ित व पर्यावरण की समस्या हल होने लगी पशु पक्षियों का कोलाहल कमहोने लगी अब कंपनियों के बंद होने से नदियों का पानी साफ होने लगा सबसे बड़ी और हंसी की बात यह है कि जो हरदम शरीर में यह दर्द वहां दर्द इन सब बातों को भूलकर सर्दी खांसी ना हो इस बात पर ध्यान अधिक देने लगे सड़कों पर एक्सीडेंट कब हुआ साबुन कपड़ों का उपयोग कम हुआ पर्यावरण में प्रदूषण कम हुआ जनरल चेकअप कम हुआ सबसे लाभदायक हाथ स्वच्छ रखने के कारण अनेक बैक्टीरिया का प्रभाव कम हुआ जिससे बीमारियों प्रतिशत कम होने लगी l

               एक   दिन की बात होती तो किसी तरह चल सकती थी मगर महीना भर बैठे बैठे खाना गरीबों के लिए मुश्किल थी गरीबों की दशा सुधारने सरकार सहायतार्थ कुछ राशन देती लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरा जैसी थी जनता घर बैठे अनेक अफवाहों से डर रही थी अनेक अफवाहें जैसे लहसुन खाने से वायरस मर जाएगा खूब पानी पीने से पेट में जाकर उसे अम्ल खत्म कर देगा बर्फ से करो ना वायरस मर जाता है अखबार छूने से नहीं होता थर्मल और स्केनर इंसानी शरीर का तापमान बताते हैं इससे यह पता नहीं चलता कि संक्रमण है या नहीं गोबर को घर के सामने जला दे तो वायरस का प्रभाव नहीं रहता ऐसी अनेक बातें अफवाह के रूप में फैलती सरकार ने कड़ी लाउड ऐलान किया कि बिना मासक के कोई बाहर ना निकले l

 विश्व के लिए करोना महामारी एक चुनौती है इस चुनौती का सामना मनुष्य को ही करना है करुणा वायरस से बचना और दूसरों को बचाना सब का कर्तव्य है हाथ से नमस्ते करना अर्थात भारतीय परंपरा को अपनाना होगा बासी भोजन के स्थान पर ताजा भोजन लेना शारीरिक व्यायाम करना बाहर निकलते समय आपस में दूरी बनाए रखना हाथ मुह ढकना छींकतेसमय दूर होकर छींकना सैनिटाइजर का उपयोग करना जो अपरिचित  हो या दूसरे स्थान से आया हो तुरंत सरकार को सूचित करना इन सबके अलावा इस महामारी को चुनौती देने हेतु कमजोर वर्ग को अर्थात आर्थिक या भोजन रूप में सहायता देना l

मानव सेवा से बढ़कर सच्चा धर्म कोई नहीं है क्योंकि जान बचे तो जग रहे

 

 

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