February 2017

संस्कृत साहित्यं व्यक्तित्वविकासः

DINESH BABU KANDUKURI RESEARCH SCHOLAR DEPARTMENT OF SANSKRIT ANDHRA UNIVERSITY MOBILE NUMBER:  9849745820 E-MAIL : kandukuridinesh@gmail-com उपोद्घातः- सकलानां संस्कृतीनां सर्वेषां संप्रदायानां च प्रभावस्थानं इयं संस्कृतभाषेति सर्वेऽपि प्राच्यपाश्चात्यविदुषः कीर्तयन्ति ।‘‘संस्कृतम्  नाम  दैवीवाक् अन्वाख्याता महर्षिभिः‘‘ इति अभियुक्तवचनात् अमृता भाषा देवभाषेति च जेगीयते  चेयम् । सुबोधा, रमणीया , मधुरा चेयं सर्वविधानां  भाषाविज्ञानानां मूलभूतेति […]

मैत्रेयी पुष्पा की आत्मकथाओं में मानव-मूल्य

कुमारी अर्पणा,शोध छात्रा, मगध विश्व विद्यालय, बोधगया   किसी भी साहित्यिक कृति के मूल्य निर्धारण हेतु उस रचना के कथा-काल का आकलन आवश्यक है। मैत्रेयी पुष्पा की आत्मकथाओं का कथा-काल भारतीय उपमहाद्वीप के आजादी पूर्व लगभग बीसवीं सदी के चैथे दशक से आरम्भ होकर 21 वीं सदी के सरहद को […]

मूल्य-हनन के प्रति उपन्यासकार मृणाल पाण्डे की चिंता

बी.हेमलता शोधार्थिनी, नेशनल फेलोशिप, यू.जी.सी, नई दिल्ली, हिन्दी विभाग,आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखापट्टणम, आंध्र प्रदेश-530003, मोः 9032261701 ई-मेलः[email protected]   मृणाल पाण्डे के छः उपन्यास प्रकाशित हुए- ‘विरूद्ध’, ‘पटरंगपुर पुराण’, ‘देवी’, ‘रास्तों पर भटकते हुए’, ‘हमको दियो परदेस’ और ‘अपनी गवाही’। इन उपन्यासों में मानव-अधिकारों से वंचित नारी की समस्याओं को चित्रित किया […]

रघुवीर सहाय की कविताओं में मानव-अधिकारों के उल्लंघन का खण्डन

के. सुवर्णा, शोधार्थिनी, हिन्दी विभाग, अंध्र्य विश्वविद्यालय, विशाखपट्टणम, आन्ध्र प्रदेश   स्वतंत्र्योत्तर युगीन महान हिन्दी और  लेखक के रूप में रघुवीर सहाय जाने जाते है। इनकी कव्विताओं में सामाजिक यथार्थ के प्राति कवि की जागरूकर्ताी सामयिक स्थितिओं का अंकन करनो की क्षमता और मानव मल्यों का समर्थन करने की विशेष […]

मृदुला गर्ग और उषा प्रियंवदा के उपन्यासों में नारी के परिवर्तित जीवन मूल्य

ई. रवि कुमार, शोधार्थी, हिन्दी विभाग, आन्ध्र विश्वविद्यालय, विशाखपट्टणम-03, दूरभाषः-9985852292, E-mail: [email protected]   इक्कीसवीं सदी के उपन्यासकार के उपन्यास का कथ्य जीवन के अधिक नजदीक है, उसमें यथार्थ का पुट अधिक है। मानवीय संबंधों के बदलते रूप को उसमें उजगरा करने का प्रयास हुआ है। मन के भीतर की परतों […]

महिला उपन्यासकारों के उपन्यासों में मानव-मूल्य

एस. सूर्यावती सह अचार्या, शासकीय महिला महाविद्यालय, मर्रिपालेम, कोय्यूर मंडल, विशाखपट्टणम।   मूल्यों का क्षेत्र अत्यंत व्यापक हैं।मूल्य सामाजिक जीवन का एक अवश्यक अंग हैं। अर्थात सामाजिका संरचना मूल्यों पर निर्भर हैं। मुल्यों से समाज में सुरक्षा, शांति एवं प्रगति होती हैं और अव्यवस्था रुक जाती हैं।अतः मूल्यों के अभाव […]

साहित्य-सृजन और आस्वादन का आनन्द

मनोज पराशर, हिन्दी विभागाध्यक्ष, मुंशी लाल आर्य काॅलेज,बी0 एन0 मंडल विवि, कसबा, पूर्णिया, मधेपुरा, बिहार   साहित्य मानवीय प्रयास का प्रतिफल है। साहित्य सृजन और आस्वादन के स्तर आनन्द प्रदान करता है। मानव-मूल्यों में आनन्द सर्वोपरि स्थान रखता है। इसलिए साहित्य और मानव-मूल्यों के रुप में आनन्द को प्रस्तुत करना […]

मानव मूल्य और संस्कृत साहित्य

डाॅ. वी. एस. कमलाकर स्मबजनतमत पद भ्पदकपए Lecturer in Hindi, Government College for Woman, Srikakulam, Andhra pradesh 532001, Cell No’ 09441267061   पूर्ववाकः- भारतीय साहित्य और संस्कृति आचरणात्मक एवं आदर्शपूर्ण मानव मूल्यों के लिये एक अनुपम वैश्विक धरोहर हैं, जो शताब्दियों से अजश्र धारावत प्लावित सामाजिक जीवन में अपनी असीम […]

इन्सानियत ही सब से बड़ा धर्म

डी0 एन0 श्रीवास्तव {अध्यक्ष एवं संस्थापक, तेजस्वी अस्तित्व फाउन्डेशन} मुख्य संपादक, तेजस्वी अस्तित्व [email protected]   संसार का कोई भी घर्म आपस में दुश्मनी या भेद भाव की शिक्षा नहीं देता है। संसार के रचयिता एवं पालनहार पर श्रद्धा और विश्वास बनाए रखना, गरीबों, दुःखियों एवं जरूरतमंदों की सतत् सेवा करना […]

कवि महेन्द्र भटनागर की मूल्य द्रष्टि

प्रो. एस. ए. सूर्यनारायण वर्मा, अनुसंधान वैज्ञानिक, हिन्दी विभाग, आन्ध्र विश्वविद्यालय, विशाखपट्टणम, आन्ध्र प्रदेश   कवि महेन्द्र भटनागर हिन्दी-साहित्याकाश के एक उज्ज्वल नक्षत्र हैं। महेन्द्र भटनागर का व्यक्तित्व और कृतित्व दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। डाॅ. महेन्द्र भटनागर बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। उनकी पहचान कवि, गीतकार, लघु कथाकार, रेखाचित्रकार, […]

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