Dr. K. Anitha
Assistant professor,
Dept of Hindi
Gayatri Vidya parishad for PG&Degree courses(A)
MVP Campus
Visakhapatnam
Email ID: [email protected]
चित्रा मुदगल की कथा साहित्य में नारी
“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता” अर्थात जहां स्त्रीयों की पूजा होती है वहा देवता निवास करते हैं ।
भूमिका : पहले नारी का जीवन घर की चार दीवारॊं में ही बीत जाता था।विशेष रूप से नारी का एक ही कर्तव्य था घर संभालना, उसे घर की इज्जत मानकर घर में हीं परदे के पीछे रखा जाता था।आज नारी का कदम घर से बाहर की और बड गया है।स्त्री मार्गदर्शन हैं वह जैसा चित्र अपने परिवार के सामने रखते हैं परिवार बच्चे उसी प्रकार बन जाते हैं | स्री एक प्रेरक शक्ति हैं|वह समाज और परिवार केलिए चैतन्य स्वरूप हैं।
साहित्यकार वह व्यक्ति है जो समाज रूपी चेहरे को साहित्य रूपी दर्पण में प्रतिबिम्बित करता है। समकालीन कथा साहित्य में चित्रा मुदगल का लेखन अपनी विशिष्ठ भूमिका और महत्व रखता है। इन्हॊने विशेष रूप से महिलाओं पर अपनी कलम चलाई है। आपने उपन्यास व कहानी के माद्यम से समकालीन जीवन स्थितियों में मनुष्य के भी तर संसार का उदघाटन की है।
इन्होंने विशेष रूप में महिलाओं पर अपनी कलम चलाई है। उनसे जुडे मनॊभावों,संघर्ष,जिजीविषा,क्रिया-प्रतिक्रियाओं को पूरीतन्मयता और बारीकी से उभारा है।उनकी रचनाएं अनुभव विविध और अनुभव-विस्तार की ओर संकेत करती हैं।नारी जीवन और नारी मनॊविज्ञान को जीवन के हर स्पन्दन में महसूस करते हुए वे अपनी लेखनी को अधिकतर ’नारी’ पर केन्द्रित करती हैं।चित्राजी का साहित्य बहु आयामी है।
चित्रा मुदगल ने उपन्यास, कहानी आदि विधाओं में हिन्दी जगत को एक नया आयाम देना ही नहीं गम्भीरतापूर्वक लेखन किया है।वे जहां एक ओर आधुनिक मानवीय मूल्यों को स्तब्ध कर देनेवाली तस्वीर को गहरी संवेदना से उकेरती है,वही अपनी कहानियों में आज की नारी का संघर्ष,स्वाभिमान व विद्रोह को अपने कलम के माध्यम से उतारने का प्रयास किया है।
“एक जमीन अपनी”—-चित्रा मुदगल का चर्चित उपन्यास है “एक जमीन अपनी” । इस उपन्यास में आज की व्यावसायिक उपभॊगवादी संस्कृति में नारी के शॊषण के नये तरीकों का एक विशेषस्तर पर सार्थक औपन्यासिक प्रस्तुति कर एक सफल उपन्यास लेखिका बन गई।इस उपन्यास में चित्रा मुदगल ने नमिता और अंकिता द्वारा दो तरह के चरित्रों को प्रस्तुत किया है।नमिता आधुनिक सभ्यता की शिकार है तो अंकिता आदर्श नारी पात्र है। अंकिता स्वाभिमानी नारी है। वह पुरूष की गुलामी को सह नहीं पाती।
सुधांशु के साथ पारिवारिक जीवन की सुरुवात में जब उसे महसूस हुआ कि सुधांशु ने उसके मन को उसकी चाह को पहचानते हुए ,उसकी “स्व” को चिन्दी चिन्दी कर दिया। दोनों का एक साथ जीना दुर्भर हो गया, इसलिए परस्पर अलग होने का निर्णय लिया गया। बाद में जीवन के कई संदर्भ में अंकिता अकेलापन को महसूस करती रही।
नीता का चरित्र अंकिता से ठीक विपरीत है वह अपना जीवन मनमाने ढंग से बिताना चाहती है। वह बिना शादी किये अनेक पुरूषों केसाथ जीती है। आखिर अपनी नारी प्रतिनिधित्व करती है।
“आवां”— इसमें समाज सेविका,मध्यवर्गीय नारी ,मजदूर,निम्नवर्ग नारी ,उच्चवर्गीय नारी ,वे या जीवन बिताती स्त्री आदि के चित्र हमे मिलते हैं। इसमें चित्रित स्त्रियों की मुख्य एवं सबसे महत्वपूर्ण समस्या शोषण। यौन शोषण और श्रम शॊषण की है।नमिता इस उपन्यास का प्रमुख पात्र है जो पढी-लिखी है। उसका चरित्र संघर्षशील, महत्वाकांक्षी, आधुनिक मूल्यों के प्रति सचेत युवती के रूप में उभरा है।
नारी शॊषण का जिक्र इस उपन्यास के आरंभ से अन्ततक है I उपन्यास में नमिता पाण्डे तीन बार यौन शोषण का शिकार बन जाता है।मजदूरों के प्रति होनेवाले अनैतिक व्यवहारों के विरोधकर के अपनी आखिरी सांसतक मजदूरों के नैतिक अधिकारों केलिए लडती आदर्श नारी है किशॊरीबाई। किशॊरीबाई शिक्षित नहीं थी । उसकी बेटी है सुनंदा। गली में एक झॊंपडी में वह बेटी केसाथ रहती थी।किशॊरीबाई का जीवन अंततक संघर्षपूर्ण रहा।उनकी चरित्र में विद्रॊही,ममता,प्यारआदि भाव मिल जुले है|
अनीसा वेश्या थी। वह धन्धा छॊडकर नौकरी करके जीने लगती है।लेकिन पुरूष समाज धन्धा का नाम लेकर शॊषण करते रहे। नारी शोषण का जिक्र इस उपन्यास के आरंभ से लेकर अन्त तक है। नारी के भावों, विचारों एवं उनकी समस्यायों को लेखिका ने अधिक सफलता के साथ शब्द बद्द किया है।
इस प्रकार चित्रा मुदगलजी अपने उपन्यासों में सामाजिक जीवन के सारे संदर्भॊं को विशेष कर नारी जीवन से संबंधित समस्याओं को प्रस्तुत किया है।
समकालीन साहित्य में कई लेखिकाओं ने नारी जीवन से जुडी स्थूल एवं सूक्ष्म समस्याओं को मनॊवैज्ञानिक दृष्टि से देखने –परखने का प्रयास किया है। चित्रा मुदगल की कहानियां जीवन की वास्तविकाताओं पर आधारित होने के कारण जीवन की विविध समस्याएं उनके स्वत: जाहिर हुई है।
उन्होंने अपनी कहानियों में भी नारी जीवन के अनुछेद पहलुओं पर प्रकाश डालने की कॊशिश करने के साथ ही शॊषित नारी के प्रति अपनी हमदर्दी विर्दॊहात्मकरूप भी चित्रित किये हैं। जिन्हॊने अपनी शॊषित के विरूद्द आवाज उठायी है।
आज की नारी यह सोचती है कि अपनी अस्मिता उसे बनायी रखनी है तो पहले उसकी लडाई अपने घर में लडनी पडती है चित्रा जी के कई नारी पात्रों में कुछ ऎसे पात्र भी हैं जो घर पर ही अपनी लडाई शूरू कर देती है।
“जहर ठहरा हुआ”उनकी एक उल्लेखनीय कहानी संग्रह है।इसमें परंपरागत रूढियों के खिलाफ और अपनी स्वतंत्रता केलिए संघर्षरत नारियोंको देखा जा सकता है।”प्रेमयॊनी” कहानी में अपमान्त्त नारीत्व का चित्रण प्रस्तुत किया गया है।चिताजी की “स्टेपन”,”प्रेमयॊनी”,”दरमियान”,”फातिमाबाई क्रॊठे पर नहीं रहती,” अभी भी”,”अग्निरेखा”,”गर्दी”,केंचुल”,”शून्य”,”चेहरे”आदि कहानियों में नारी जीवन की विभिन्न समस्याएं देखने को मिलती हैं।इनकी कहानियों में स्त्री की निजी वैयक्तिक दुनिया के साथ बहुत नजदीकी भी पाई जाती है।
उपसंहार : इस प्रकार हम कहते है कि आधुनिक हिन्दी साहित्य के कथा लेखिकाओं में चित्रा मुदगल की रचनायें दिल को छूती हुई प्रकट होती है।इस प्रकार हम कहते हैं कि चित्राजी की रचनाओं का कथ्य अक्सर सामाजिक जीवन से सम्बन्धि है चित्राजी ने राजनैतिक,सामाजिक, मनॊवैज्ञानिक सभी का विस्तृत ढंग से वर्णन किया है।
उन्हॊंने उपन्यास,कहानी आदि विधाओं में नारी के भावों, विचारों एवं उनकी समस्यायों को चित्रित कर हिन्दी जगत को एक नया आयाम देना ही नहीं गम्भीरता पूर्वक लेखन किया है। उनकी कहानियों और उपन्यासों में नारी के विचारों को चित्रा जी यथार्थवादी दृष्टी कोण में अधिक सफलता के साथ चित्रित किया है।
“नर की नारी है
घर की शॊभा बढाने की शक्ति कारिणी
मुस्कुराकर,दर्द भूलकर
हर पथ को रोशन
करनेवाली शक्ति है
नारी नारी नारी”
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची :
- 1. एक जमीन अपनी-चित्रा मुदगल
- 2. आवां-चित्रा मुदगल
- 3. समकालीन महिला लेखन – डां.ओमप्रकाशशर्मा
- समकालीन महिला लेखन-डां .ओमप्रकाशशर्मा
- 5.साठॊत्तरी महिला कहानीकार- मंजुशर्मा