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ISSN NO. 2581-9070 ONLINE

भविष्य शिक्षा : कोविड 19 महामारी डाॅ. कर्रि सुधा

भविष्य शिक्षा  : कोविड 19 महामारी

डाॅ. कर्रि सुधा

                कोविड 19 दुनिया के अंदाजे को बदल दिया । संप्रदायिक विचारों में नया पविर्तन लेकर आया । चाहे या अनचाहे भी इस बदलाव को स्वीकार करना ही है। जयशंकर प्रसाद जी की पंकियाॅं स्मृति पटल में प्रतिध्वनित होती हैं ।

‘‘पुरातनता का यह निर्मोक,
सहन करती न प्रकृति पल एक,
नित्य नूतनता का आनंद,
किए हैं परिवर्तन में टेक ।।’’

                    21वीं सदी में कोविड.19 के अत्यधिक प्रभाव से हर क्षेत्र के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र पर भी हुआ । ऐसी अनिश्चित स्थिति में भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए शिक्षा प्रणालियों को फिर से पुनर्रचना करने की अत्यंत आवश्यकता है। तकनीकी वृद्धि के कारण विद्यार्थियों में खुद को लगातार नया करने की क्षमता के साथ-साथ आजीवन सीखने की इच्छुकता और नए कौशल को जल्दी से हासिल करने की क्षमता बढती जा रही है ।

                     बढती हुई आवश्यकताओं की पूर्ति के अनुरूप हमारी शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन लाना पडेगा । आज की अनिश्चितता की समना करने के लिए विद्यार्थियों को तैयार करना होगा और चपलता और अनुकूलन क्षमता को बढ़ावा देना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और औद्योगिक क्रांति की आज की दुनिया में, स्पर्धा जीतने केलिए हर विद्यार्थी केा अपनी क्षमता को बढाना ही पडेगा। इसके लिए शिक्षकों के साथ-साथ माता-पिता, एवं संरक्षक को भी प्रशिक्षण और पुनर्प्रशिक्षण की अत्यंत आवश्यकता है, तथा शिक्षा प्रणालियों और पाठ्यक्रम को नया स्वरूप देना है।

               हम एक ऐसी दुनिया में स्थित हैं जिसमें लोगों के स्वायत्त ठेकेदार होने की संभावना अधिक होती है, न कि जीवन भर के लिए एक सुरक्षित नौकरी। ऐसी अनिश्चित स्थिति में हमें दुनिया की दौड के आधार पर शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से नया रूप देने की जरूरत है। तथ्यों और आंकड़ों को याद रखना सीखने के बजाय, छात्रों में समस्याओं कोे हल करने की क्षमता बढानी चाहिए । उन्हें स्वतंत्र रूप से सीखने की अनुमति दी जानी चाहिए। उद्यमिता जैसी चीजों को पाठ्यक्रम में बढावा देना चाहिए क्योंकि, उससे बहुत से लोगों को अपनी नौकरी खुद बनानी होगी।

                 भौतिक कक्षाओं के साथ ऑनलाइन कक्षाओं को भी महत्व देना चाहिए । कोविड के समय में कक्षाएं कहीं भी कभी भी हो सकती हैं, छात्र किसी भी समय दुनिया भर के अन्य छात्रों के साथ आभासी संदर्भों में परियोजनाओं पर काम कर सकते हैं । भविष्य में शिक्षा को आने वाली पीढ़ियों को यह भी सिखाना होगा कि समस्याओं को कैसे संभालना है। व्यक्तिगत प्रगति की क्षमता को अधिकतम करने के लिए, शिक्षक के नेतृत्व वाली शिक्षा के कुछ तत्व बने रहेंगे, जो ऑनलाइन डिजिटल मीडिया के साथ संयुक्त होने पर पारंपरिक शिक्षण प्रथाओं को बढ़ाएंगे।

सन्दर्भ ग्रन्ध सूची:
शिक्षा सम्बन्धी ग्रन्ध

Dr.Karri Sudha, 
 Sr. Asst. professor,  Head of the Dept. of Hindi,
Visakha Governement Degree College for women,
Visakhapatnam, Andhra Pradesh,Bharat.

 

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