माँ के परम भक्तों
आज सम्पूर्ण देष एक भयावह अदृश्य अंधकार में डूबता नज़र आ रहा है। चारों ओर आतंकवादियों, भषटाचारियों, अन्यायिओं एवं अधर्मियों का जैसे साम्राज्य स्थापित हो गया है। कण-कण में एवं जन-जन के हृदय में भय का माहौल व्याप्त है। विश्वास में लागों का विश्वास जैसे पूर्णतः समाप्त हो चुका है। आज बेईमानी का काम पूरी तन्मयता और ईमानदारी के साथ किया जाता है। हमारे जन-प्रतिनिधी जन-हित कार्यों के बजाय नीजि स्वार्थ से वशीभूत होकर नीजि हितों के दल-दल में निरन्तर धंसते जा रहे हैं। चारों ओर लोग जैसे लाचारी, बेबसी, भूखमरी बेरोजगारी एवं गरीबी जैसे कोढ़ जैसी घातक बीमारी से ग्रसित होते जा रहे हैं।
माँ के परम भक्तों, याद करो – जब ऐसा ही अराजकता का वातावरण शुम्भ-निशुम्भ, चण्ड-मुण्ड एवं महिषासुर जैसे दानवों के राज में हो गया था, तब माँ दुर्गा ने अपने प्रचण्ड संहारक रूप का दर्शन देकर इन दानवों के कुकर्मों से हमें निजात दिलाया था। रावण मेघनाद कुम्भकरण जैसे दैत्यों के अत्याचार से और कंस जैसे अत्याचारी असुरों से संसार पालक श्री हरी विष्णु ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम एवं कृष्ण रूप में पृथवी पर अवतरित होकर उनका संहार कर लोगों को उनके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी।
क्या हमें भी माँ दुर्गा भगवान राम एवं कृष्ण से यह प्रेरणा नहीं लेनी चाहिए और मिलकर ऐसी शक्तियों के विरुद्ध बुलन्द आवाज़ एवं कड़ा कदम नहीं उठाना चाहिए, जिससे समाज में व्याप्त आतंक एवं भ्रष्टाचार का पूर्णतः सफाया हो सके ताकि चारों ओर प्रेम सैहार्द भाईचारा एवं अपनापन का वातावरण पुनः स्थापित हो सके? पूर्व की भांति एक बार फिर हमारे देश में डाल-डाल पर सोने की चिडि़यों का बसेरा हो सके? समाज में लोगों के हृदय से धर्म जात-पात अमीरी-गरीबी ऊँच-नीच का भेद-भाव सदा सदा के लिए विलुप्त हो जाए एवं दसो दिशाओं में मंगलमय घ्वनि गुंजायमान हो शायद ऐसा करने से माँ भी हम पर मेहरबान होकर अपने आशीर्वाद की वर्षा करें।
भारत की ज़मीन पर जन्म लेने के कारण आपकी भी कुछ जि़म्मेदारियां हैं। देश के प्रति आपका भी कुछ उत्तरदायित्व बनता है। देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, सरकारी मुलाजि़मों का गैर-जि़म्मेदाराना रवैया एवं उनके जन-विरोधी कार्यों के विरूद्ध लड़ाई में आपका भी कुछ कर्तव्य बनता है। क्योंकि भारत आपका भी देश है। इसका मस्तक सबसे उच्च शिखर पर हो ये सपना आपका भी होना अति अनवार्य है। और इसे साकार भी आप और हम ही करेंगे।
इस कारण भी आपकी जि़म्मेदारियां और अधिक हो जाती हैं। इसलिए आइए आज हम यै प्रण लें कि हम किसी भी प्रकार का अन्याय न तो सहेंगे और न ही किसी और पर होने देंगे। हमें अपार हर्ष होगा यदि आप भारत के आम आदमी के संवैधानिक अधिकारों को जाने एवं उन अधिकारों को पाने के लिए आगे बढ़ें।
हमारे मूलभूत संवैधानिक अधिकारः
क्या अपने हक को हासिल करना हमारा आपका कर्तव्य नहीं है? और यदि आप मानते हैं कि ये ही हकीकत है और इसे हासिल करना न सिर्फ हमारी जि़म्मेदारी है बल्कि हमारा कर्तव्य भी है तो नीचे दिए गए कुछ सत्य पर नज़र डालिएः
क्या हम ये सब सहते रहेंगे? आखिर कब तक? तो आइए, आज ही हम ये सौगन्ध उठाएं
”यदि हम पर या किसी अन्य पर कभी भी कोई अन्याय या अत्याचार होगा तो हम उसे सहन नहीं करेंगे। हक और न्यान को पाने के लिए हरदम आगे बढ़ेंगे। कहीं भी सड़क, गंदगी, सीवर, अस्पताल में इलाज, शिक्षा से जुड़ी या कोई भी अन्य समस्या देखते ही उसे दुरूस्त करने के लिए उचित व ठोस कदम उठाएंगे।“
आप अपने को कदापि लाचार एवं बेबस महसूस न करें। हक और न्याय को हासिल करने आगे बढ़ें। हम आपके हक की लड़ाई में सदैव आपके साथ हैं। जरूरत है सिर्फ आपके हिम्मत की और आत्म विश्वास की। अपने हक के लिए अंतिम सांस तक लड़ना आपका परम कर्तव्य है। आप अपने आपको कदापि असहाय न समझें।
तेजस्वी अस्तित्व आपकी अपनी संस्था है। यदि आपको आपके के संवैधानिक हक से महरूम कर दिया गया है तो हमारे पास आइए, हम आपको आपका हक दिलाने का वचन देते हैं।
हक और न्याय की जंग में आप माँ की विशेष कृपा के पात्र हों एवं विजयश्री आपके कदम चूमे।
आशा की दीपक को सदैव ज्वलायमान रखने हेतु माँ से आप सबपर असीम अनुकम्पा एवं कृपा सदैव बनाये रखने की प्रार्थना करता हूँ।